भारत माता का बेटा पर कविता | Bharat Mata Ka Beta Kavita in hindi
30 January 1948 को महात्मा गाँधी ने देश से बिदा ले ली , एक ऐसी मौत उन्हें मिली जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी, जिसके कारण देश ने आजादी को देखा, उसे देश के ही नागरिक ने मार दिया. नाथूराम गौडसे ने जिन भी कारणों के चलते यह अपराध किया.क्या वह कारण इतने बड़े थे कि बापू को बोलने का मौका भी ना दिया गया.
देश केवल एक जन्म स्थान नहीं , अपितु जन्म देने वाली माता के तुल्य है. गाँधी , सुभाष , आजाद जैसे वीरो की माता, भारत माता आज जिस हाल में है अपने इन सपूतो की याद में क्या वो कहती है –
बेबस भारत भूमि
मैं वो भारत भूमि हूँ , जिसे गुलामी ने जकड़ा था,
मेरी आजादी के लिए, मेरे बच्चो ने खून बहाया था.
कई सालों की गुलामी के बाद, एक सूरज आसमान में छाया,
जिसके रोशन इरादों ने, मुझे आज़ादी का दिन दिखलाया.
सत्य अहिंसा का शस्त्र उठाकर, जिसने देश को था जगाया ,
उसकी सच्ची वाणी ने, एकता का था पाठ पढ़ाया.
उसके नेक इरादों से, वो “बापू” भी कहलाया ,
उसकी निर्मल छाया में, देश का ध्वज लहराया.
सच्चा सिपाही था वो, उसे अपनों ने ही मार दिया,
संध्या की राग में, गोली से छल्ली छल्ली कर दिया.
जब से ही बेबस हूँ , मैं वही भारत भूमि हूँ ,
अपने सच्चे बेटे की, आस लगाये बैठी हूँ.
गैरो से तो आजादी दिला गया,अब अपनों ने ही लुटा है ,
कौन सुनेगा मुझे यहाँ, अब हर कोई सत्ता का भूखा है.|
आज इतने वर्ष बीत गए मोहन दास करमचंद गाँधी नामक उस व्यक्ति को जिन्हें “राष्ट्रपिता” की उपाधि मिली, उसे उसकी अनगिनत अच्छाईयों के बावजूद, कुछ चुनिन्दा गलतियों के लिए एक आम आदमी ने सजा-ए –मौत दे दी. क्या भारत का नागरिक इतना शक्तिशाली है कि सजा दे दे? तो आज कहाँ है सब ? जब धर्म , जाति, भेद –भाव और ना जाने कितने ही दुष्कर्मो के दोषी देश को चला रहे है. क्या आज किसी में ताकत है,इन नेताओ को सरे आम चुनौति देने की. शायद आज आम आदमी भी कई दोषों का दोषी है, अगर सत्ता में लोभी है ,तो लोभ देने वाला देश का नागरिक ही तो है.
आज गाँधी जी की पुण्यतिथी पर भारत माता की गुहार सुनो, उसे महज़ जन्म स्थान नहीं बल्कि माता का दर्जा दो.
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